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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह जल्द ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संयोजक बन सकते हैं। 15 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एनडीए संसदीय दल, जिसके नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, इसका फैसला ले सकता है। फैसला होने पर संसद में लालकृष्ण आडवाणी को अपना कमरा खाली करना पड़ सकता है। संसद भवन में भू-तल पर भाजपा संसदीय दल के लिए कक्ष आबंटित है। इसमें मुख्य रूप से तीन कमरे हैं। एक बड़ा कक्ष है जिसमें पार्टी सांसद बैठते हैं। एक कमरा एनडीए अध्यक्ष/संयोजक के लिए आबंटित है। इस कक्ष में आडवाणी बैठते हैं। तीसरा कमरा काफी छोटा है जो राज्यसभा में भाजपा के उपनेता के लिए आबंटित है। चूंकि लालकृष्ण आडवाणी अभी एनडीए या भाजपा में किसी पद पर नहीं है ऐसे में एनडीए संयोजक के लिए आबंटित कमरा उन्हें खाली करना होगा। गौरतलब है कि जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई थी उस वक्त भी आडवाणी के कमरे के बाहर से उनकी नेम प्लेट हटा ली गई थी। ऐसे में आडवाणी भाजपा सांसदों के लिए आबंटित कमरे में ही एक कोने में सोफे पर आकर बैठ गए थे। तीन दिन के बाद उन्हें बैठने के लिए एनडीए अध्यक्ष का कमरा दिया गया था। अब चूंकि अमित शाह का एनडीए संयोजक बनना लगभग तय है तो आडवाणी को कमरा खाली करना पड़ेगा। गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी संसद सत्र के दौरान बतौर सांसद नियमित रूप से संसद में अपने कक्ष में सुबह 11 बजे से पहले आ जाते हैं। वे प्रश्नकाल में जरूर मौजूद रहते हैं। प्रश्नकाल के बाद वे दोबारा अपने कक्ष में उपस्थित होते हैं और भाजपा और अन्य दलों के कई नेता उनसे आकर मिलते हैं।
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