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पटना [मुंबई हलचल]। बिहार में सरकार की सहयोगी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को लेकर अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। मांझी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल हो चुकी है। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। जीतनराम मांझी की पार्टी ने बुधवार को अपने ही सरकार के खिलाफ महाधरना का आयोजन किया। महाधरना में जीतन राम मांझी की अगुआई में पार्टी कई बड़े नेता शामिल हुए। इस मौके पर मांझी ने कहा कि मेरे सीएम रहते कई योजनाओं को लागू किया गया था लेकिन अब उन्हें बंद कर दिया गया। उन योजनाओं को बिहार सरकार से पुन: करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों की झोपड़ियों को बिना उसका वैकल्पिक उपाय किये ना उजाड़े सरकार। दलितों गरीबों को 5 डिसिमल जमीन देने साथ ही न्यायपालिका में आरक्षण दिया जाये। साथ ही मांझी ने शराबबंदी को लेकर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा। कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल हो चुकी है। 50 प्रतिशत से अधिक अफसर शराब पीते हैं। उनके उपर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती है, लेकिन इसके बहाने दलितों पर अत्याचार हो रहा है। हमारे यहां देवताओं पर भी शराब चढ़ाने की परंपरा है। इसलिए इसकी समीक्षा की जरूरत है। जीतनराम मांझी के इस बयान पर जदयू नेता व प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में किसी भी हाल में शराबबंदी लागू रहेगी। शराबबंदी के लिए चार करोड़ लोगों का समर्थन मिला है। शराबबंदी लागू होने के बाद समाज में परिवर्तन आ रहा है। दलितों के बीच अपराधिक वारदात में कमी हुई है। महिलाओं पर हिंसा में कमी हुई है। जदयू नेता ने आगे कहा कि यदि मांझी को लगता है कि अफसर शराब पीते हैं, तो उनका नाम सार्वजनिक रूप से बतायें। देश में कानून बना हुआ है, फिर भी अपराध होते हैं। लेकिन दोषियों को सजा दी जाती है। शराब पीने के मामले में बिहार पुलिस ऐसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया गया। इसलिए शराबबंदी पर विचार करने का कोई सवाल ही नहीं है।
रिपोर्टर
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